8TH SEMESTER ! भाग-28 ( आकर्षण & प्रतिकर्षण )
Chapter -11: Attraction and Repulsion
भाग -1
"अब जाउ या कुछ और कहना है..."
"श्री अरमान की एक सलाह भी लेती जाओ...वरुण ने अपनी जान बचाने के लिए तुम्हे यहाँ बुला लिया था, तो हो सके तो अपने लिए कोई दूसरा बॉय फ्रेंड ढूँढ लेना...."
जब हॉस्टल पहुचा तो मेरे दोस्त अगल बगल ऐसे खड़े थे जैसे कि कोई बहुत बड़ा शहंशाह घुसा हो....सब मुझे देख - देख कर मुस्कुरा रहे थे, अभी मैं अपने रूम मे पहुचा तक नही था कि छोटी हाइट की शख्सियत का मालिक , बी. एच. यू. वहाँ आया और एड़ी के बल खड़े होकर मेरे कंधे पर हाथ रख कर बोला
"पेला उसे....?"
मैने आस-पास खड़े लड़को को देखा और धीरे से कहा "नही बे, छोड़ दिया, बेचारी रोने लगी थी...."
"समलैंगिग है तू,"पता नही उस वक़्त अरुण कहाँ से टपक पड़ा और दूसरी तरफ से उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और दाँत चबाते हुए गुस्से से बोला"कुत्ते, ना तो खुद किया और ना ही मुझे करने दिया, अब मैं तुझे पेलुँगा ...चल रूम मे तू"
जैसे ही सबको मालूम चला कि मैने विभा के साथ कुछ नही किया है तो सब मुझे गालियाँ देने लगे, कुछ बोल रहे थे कि इतना बढ़िया मौका मैने हाथ से जाने दिया....कुछ ने ये भी कहा की मै झूठ बोल रहा हूँ.. उन सबसे... उधर माल को ठोक भी दिया और यहाँ आके शरीफी झाड़ रहा है.....और बाकी जितने बचे सबने गे~ समलैंगिक की उपाधि दे डाली, लेकिन उन सबको क्या पता कि इस दिल के अरमान तो कुछ और ही थे.......
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वरुण और उसके दोस्तो की हॉस्टल वालो ने धुलाई की ,ये खबर रात-ओ-रात कॉलेज मे लगभग सबको मालूम पड़ चुकी थी और जो दो नाम उछल कर सामने आए थे वो दो नाम थे सिदार और अरमान.... सिदार तो फिर भी पहले से ही हाईलाइट था.. पर इस काण्ड ने मेरी इमेज को अच्छा -खासा बूस्ट किया... फर्स्ट ईयर के एक लड़के ने अपने सुपर मोस्ट सीनियर को बुरी तरह धोया, ये खबर लगभग हर कोई जानने लगा था, जिसका मतलब था कि कॉलेज मे मेरी popularity शेयर मार्केट के सेंसेक्श की तरह रातो रात बढ़ चुकी थी.....
वरुण की पिलाई से जहा कुछ लोग खुश थे वही बहुत से लोग ऐसे थे, जिनको मैने अनजाने मे ही अपनी इस हरकत से अपना दुश्मन बना लिया था... लेकिन कुछ भी करो... कितना भी करो, कॉलेज का सामान्य जीवन मुझे तो जीना ही था, उसके पीछे भले ही मै कुछ भी करता राहु.... इसलिए .दूसरे दिन से फिर वही घिसी पीटी ज़िंदगी शुरू हो गयी, लेकिन आज मैं और अरुण कॉलेज के पीछे वाले गेट से ना जाकर सामने वाले गेट से गये....आज मुझे कोई फ़र्क नही पड़ रहा था कि कौन जूनियर है और कौन सीनियर... जब मैं फर्स्ट ईयर की क्लास वाली कॉरिडर मे पहुचा तो वहाँ क्लास के बाहर खड़े सभी स्टूडेंट्स की नज़र मुझ पर ज़म गयी....
"देखा बे, मेरे साथ चलने का फ़ायदा" बकवास करते हुए अरुण बोला
"सुबह सुबह खा मत....अभी कुर्रे भी आएगा, वो भी कुरकुरे की तरह दिमाग़ चाब जायेगा और फिज़िक्स के लॉ पढ़ा-पढ़ा के सर पर हथौड़ा मारेगा....."
क्लास मे बैग रख कर मैं बाहर आ गया लेकिन अरुण किसी लड़के की कॉपी से असाइनमेंट कॉपी करने लगा,....क्लास शुरू होने मे अभी टाइम था, इसलिए मैने बाहर खड़े लड़को के साथ गप्पे शप्पे मारना ही बेहतर समझा, वहाँ कुछ लड़के हॉस्टल के भी थे तो कुछ लड़के सिटी वाले भी थे, सब अपनी आँखो मे चमक लिए मुझसे पुछ रहे थे कि क्या मैने सच मे वरुण और उसके दोस्तो को मारा या ये सिर्फ़ एक अफवाह है......
"अरमान के केस मे जो कुछ भी होता है वो सब हक़ीक़त होती है, अफवाहे तो इस बकलोल के केस मे बनती है, जो अपने नोकिया 1200 मे मेसेज टाइप कर रहा है....."बी. एच. यू. की तरफ देखकर मैने इशारा किया और उसके हाथ से मोबाइल छीन लिया....
"अबे मेरी माल का मेसेज आने वाला है, डिस्टर्ब मत कर...."
"काहे का माल बे , तेरे से कौन लड़की पटेगी ...."
"ये वही लड़की है...."
"कौन वही...."
"अबे वही...."
" नाम बता..."दिल की धड़कने तेज हो गई की.. ये किससे बात कर रहा है
"एश...."बी. एच. यू. शरमा कर बोला, वो एश का नाम बताते वक़्त ऐसे शर्मा रहा जैसे की उसकी हल्दी लगाने वाली रस्म हो रही हो,....
मैने नंबर देखा, साला सच मे एश से मेसेज-मेसेज खेल रहा था, यकीन तो नही हो रहा था लेकिन एश का जब रिप्लाइ आया तो मुझे यकीन करना पड़ा.....
"कहाँ हो...."एश ने मेसेज किया...
"अपनी क्लास के बाहर खड़ा हूँ, "बी एच यू का ये रिप्लाई था...
"मैं तुम्हे पहचानूँगी कैसे..."
"तुम बस कॉलेज आओ, मैं तुम्हे पहचान लूँगा...... मेरी d.p. है तो पहचानने के लिए"
"क्लास से बाहर निकलो, मैं बस पहुचने ही वाली हूँ...."
"मैं बाहर ही हूँ...."मेसेज टाइप करके बी एच यू ने एश को सेंड कर दिया, और वहाँ खड़े सभी लड़को का मुँह खुला का खुला रह गया... खुद मेरा भी बुरा हाल था कि इसने एश को मिलने के लिए राज़ी कर लिया....? कही ये इससे भी तो नही पट गयी...? इसका कोई ईमान, धरम है की नही....?
"एश...."इस नाम को मैं हॉस्पिटल वाले कांड से भूलने लगा था....
लेकिन आज bhu और एश के बीच हुए इस मेसेज-मेसेज के खेल ने मेरे अंदर एक टीस पैदा कर दी थी, पूरे जहन मे वो एश और गौतम के बीच का लव सीन फिर याद आ गया....और जब कॉरिडर मे एश को गौतम के साथ आते हुए देखा तो दिल से आवाज़ आई कि काश एश, गौतम को छोड़ कर मेरे पास आ जाए, दिल से आवाज़ आई कि काश गौतम को दूसरी लड़की पसंद आ जाए और वो एश को छोड़ दे, आवाज़ आई कि काश एश के दिल मे भी मेरे लिए वही अरमान जाग जाए जो अरमान मेरे दिल मे उसके लिए थे......मै अपनी इसी सोच मे डूबा था और डूबते ही जा रहा था की..........................
तभी जोरदार आवाज़ आई, किसी ने किसी को बहुत कस कर थप्पड़ मारा था और जब नज़रें आवाज़ की तरफ हुई तो हँसी के साथ- साथ गुस्सा भी उफन पड़ा, गौतम ने bhu को करारा तमाचा मारा था. हँसी इसलिए आ रही थी क्यूंकी bhu जहाँ कुछ देर पहले एश के लिए अपने अरमानो को उछाल रहा था वो अब अपने गाल सहला रहा था, गुस्सा इसलिए आया क्यूंकी जिसको पाने की तमन्ना कॉलेज के पहले दिन से थी उसके बॉय फ्रेंड ने मेरे दोस्त को मारा था........ कोई और bhu को मारता तो कसम से मेरे कानो मे जू तक नही रेंगती... लेकिन यहाँ मेरा शौतन था.. जिसे पता तक नही था की वो मेरा शौतन है...
"ओये लंगूर की औलाद, शकल तो देख लेता आईने मे मुझे मेसेज करने से पहले...."एश, bhu का मज़ाक उड़ा रही थी और गौतम जिसने अभी हाल फिलहाल मे भू को तमाचा जड़ा था वो भी हंस रहा था........
गौतम कॉलेज का फेमस स्टूडेंट था और वरुण का करीबी भी था, रंग-रूप और चाल चलन उसकी रहिसी को दिखाती थी और कल रात हॉस्टल मे किसी ने मुझे ये बताया था कि वरुण की तरह वो भी बड़ी हार्ड रैगिंग लेता है और इसी सिलसिले मे कुछ दिनो पहले कॉलेज से डिसमिस होते होते बचा था, हुआ कुछ यूँ था कि सिटी बस मे उसने फर्स्ट ईयर के एक लड़के के बाल पकड़ कर चलती बस की खिड़की से बाहर फेक दिया था...... वो तो अच्छा हुआ बस की स्पीड ना के बराबर थी, वरना जिसे उसने बस के बाहर फेका था वो मृत्यु सैय्या मे लेता होता....
"सुन बे लंगूर, दोबारा यदि एश के आस-पास भी भटका तो पूरे कॉलेज मे दौड़ा दौड़ा कर मारूँगा....."गौतम अपनी सीनियारिटी झाड़ते हुए हुए बोला....
"साइन्स कहता है सभी इंसान के पूर्वज बंदर और लंगूर थे, इसलिए अपने बाप-दादा की इज़्ज़त करो....."भू के कंधे पर हाथ रखकर मैने कहा" इस बार तो हाथ उठा दिया, दोबारा हाथ उठाया तो हाथ तोड़ दूँगा..."
उस वक़्त मुझमे वो हिम्मत शायद जलन की वजह से आई थी, वरना bhu मेरा उतना भी खास दोस्त नही था कि मैं उसके लिए लड़ाई करता फिरू....
"क्या बोला बे..."मेरे बोलते ही गौतम मुझसे बोला
"इसको दूर कर दे वरना, लड़की के सामने बेज़्जती हो जाएगी...."मेरा इशारा एश की तरफ था, जो हालत वहाँ मुझे लेकर गौतम की थी वही हालत एश की भी थी, मेरे लिए गौतम के साथ साथ एश के मन मे नफ़रत पैदा हो गई थी ......... शायद
"एश जान....तुम यही खड़ी रहना, मैं देखता हूँ कि कल का आया ये क्या करता है..."कहते हुए उसने एक बार और bhu को मारा....
"ऐसा क्या, फिर ये ले..."मैं थोड़ा पीछे खिसका और कसकर एक थप्पड़ गौतम को जड़ दिया,...
वो थप्पड़ मैने अपनी पूरी ताक़त के साथ मारा था, इसलिए उसकी गूँज सबके कानो तक तो पहुचनी ही थी, वहाँ खड़े सभी स्टूडेंट्स मे से हर किसी की आँखे बड़ी हो गयी तो किसी का मुँह खुला का खुला रह गया, कुछ लड़कियो ने अपने मुँह पर हाथ रखकर लड़कियो वाली स्टाइल मे awwwww भी किया....फर्स्ट ईयर की सभी क्लास मे जितने भी स्टूडेंट्स बैठे थे वो सब लड़ाई का नाम सुनकर बाहर कॉरिडर पर आ गये, तब मुझे लगा कि गौतम को नही मारना चाहिए था,...
गौतम की गर्ल फ्रेंड भी वही खड़ी थी,इसलिए वो उसके सामने मुझे गाली नही दे सकता था और मेरे सामने जिसे मैं गर्लफ्रेंड बनाना चाहता था वो खड़ी थी, मतलब वो दोनों लड़की... दो नही बल्कि एक ही थी... बोले तो.. ऐश. इसलिए उस वक़्त गाली तो मैं भी नही दे सकता था.... गौतम हक्का -बक्का रह गया अपने गाल मे तमाचा खाकर... उसे शायद पता होता की मै कौन हूँ और हाल ही के दिनों मे मैने क्या -क्या काण्ड किया है तो वो शायद ही bhu को मारता.. मारना तो दूर की बात वो उसके पास तक नही आता... बाजीराव सिंघम, विभा, वरुण के बाद गौतम मेरा चौथा शिकार बना था...
"चल साइड मे साले..."मेरा कॉलर पकड़ कर गौतम ने बोला और जवाब मे मैने भी अपने दोनो हाथो से उसका कॉलर कसकर पकड़ लिया..... कौन सा मै दुबला पतला हूँ की लड़ने से डरु
"तू खुद को समझता क्या है बे, तुझे ज़रा भी अंदाज़ा है कि who am i and what can i do with you..?"दाँत पीसकर वो बोल ...
"सुन बे.. लपरझंडूस , मेरा हाथ फ्रिक्शनलेस है... यदि एक बार मारना शुरू करूँगा ना तो मारता ही जाउन्गा और जिसे मारता हूँ उसका क्या हाल होता है ये तू अपने बाप वरुण से पुछ लेना..... कल उसको अच्छा खासा आईडिया दिया हूँ मै..."
गौतम ये सुनते ही थोड़ा ढीला पड़ गया और इसीलिए के साथ उसके हाथ भी ढीले पड़ गए... उसने मुझसे पुछा कि मैं रहता कहाँ हूँ और जब मैने उसे बताया कि मैं हॉस्टल का हूँ तू उसने मेरा नाम पुछा....
"अरमान...."मैने अपना नाम बताया और मेरे इस नाम का बहुत ज़्यादा असर गौतम पर हुआ उसने तुरंत मेरे गिरेबान से अपना हाथ हटा लिया....
"सिदार के दम पे उचक रहा है तू, अगले साल क्या करेगा जब वो यहाँ से चला जाएगा तो ..."
TO BE CONTINUED.........
Barsha🖤👑
26-Nov-2021 05:31 PM
बहुत सुंदर भाग
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Kaushalya Rani
25-Nov-2021 09:19 PM
Amazing part
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Ali Ahmad
02-Sep-2021 02:23 PM
Nice part
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